पौधे कब और कैसे लगाएं

प्रख्यात वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु के अनुसंधानों से प्रमाणित हो चुका है कि वनस्पतियां भी हमारी तरह संवेदनशील जीविहैं। इनके भी जीवन चक्र होते हैं। बागवानी के हर काम में इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
आप की फुलवारी बराबर हरी-भरी रहे तथा बराबर फूल खिलते रहें तो पौधों का सही चुनाव होना भी जरूरी है। पेड़, पौधे अनेकों प्रकार और प्रजातियों के होते हैं। इनकी धूप, पानी, हवा, पौष्टिक भोजन (मिट्टी-खाद) आदि की आवश्यकताएं भी विभिन्न होते हैं। इन सभी बातों पर ध्यान देकर बागवानी करने पर ही पेड़, पौधे और फूल अच्छे होंगे। पौधों की सही जानकारियां होने से ही आप अपनी आवश्यकतानुसार पौधे चुन सकेंगे। इस धारावाहिक के विभिन्न भागों में प्रमुख फूल-पौधों की जानकारियां देने की चेष्टा की गई है। कुछ रोचक बातें भी बताई गई हैं।
पौधों के जीवन चक्र :- 1. सदाबहार पौधे जो अनेक वर्षों तक जीवित रहते हैं। सदा हरे-भरे रहते हैं और इनका पतझड़ नहीं होता। ये हैं- मनीप्लांट, अनेक प्रकार के सदाबहार तथा छाया में रहने वाले 'इनडोरप्लांट' आदि। 2. दीर्घ जीवी पौधे- इनके झाड़ अनेकों वर्षों तक जीवित रहते हैं। ये हैं गुलाब, कनेर, रंगन, मुसाएन्डा आदि 3. दो चार वर्ष जीवित रहने वाले पौधे। इनका प्रसारण बीज, कलम, जड़ से निकलने वाले शाखाओं और कंद से होता है। ये है डेजी, गोलार्डिया, क्रिसेन्थेयम, पोलिएन्थस आदि। 4. अल्पजीवी पौधे मौसमी फूलों के होते हैं जिन्हें बीज बोकर पैदा किया जाता है और मौसम समाप्त होने पर फूल होना बन्द होकर पौधे सूख जाते हैं। ये हैं- गेंदा, सूर्यमुखी, जीनिया, पिटूनिया आदि। 
स्थान और पात्र :- पौधे लगाने के पहले जमीन में गङ्ढे, क्यारियां तथा गमले तैयार करना पड़ता है। जमीन में लगाना हो तो गङ्ढे की गहराई और एक दूसरे से दूरी पौधों के आकार-प्रकार के अनुसार हो। गमले में लगाना हो तो मिट्टी के गमले ही लें क्योंकि ये पोरस होते हैं जिससे पौधों के जड़ों को प्रकाश और वायु मिलते रहे। इससे पौधों का विकास अच्छा होता है। ये सीमेन्ट, प्लास्टिक तथा धातु के गमलों में यह सुविधा नहीं है इसलिए पौधों के स्वास्थ्य के लिए ऐसे गमले उपयुक्त नहीं हैं। 
मिट्टी और खाद-हर प्रजाति के पौधों के लिये विभिन्न पौष्टिक तत्व चाहिए जो अनेक प्रकार की मिट्टी और खाद से मिलता है पर साधारण बागवानी के लिए जो भी मिट्टी उपलब्ध हो उसके दो भाग, गोबर की खाद दो भाग और एक भाग बालू का मिश्रण प्राय: सभी प्रकार के पौधों के लिए उपयोगी होगा। इसमें उबले चाय की पत्तियों तथा सूखे पत्तियों की खाद भी थोड़ी मिला सकते हैं जो बहुत लाभदायक है, ऐसा मेरा निजी अनुभव है। ऐसी मिट्टी तैयार कर जमीन के गङ्ढों और गमलों में भर कर काफी पानी देकर एक दो दिनों तक छोड़ दें। मिट्टी अच्छी तरह बैठ जाने के बाद दूसरे या तीसरे दिन वहां पौधे लगा सकते हैं।
पौधे कब और कैसे लगायें:- मौसमी फूल के पौधे फूल होने के एक या दो महीने पहले बीज से कहीं भी उगा कर दूसरी जगह लगा सकते हैं। यदि छोटे पौधे खरीद कर लायें तो उन्हें एक आधे घंटे पानी में भिगोने के बाद ही जमीन या गमले में लगायें। दूसरे पौधे यदि झोटे गमले या पालिथीन बैग के साथ खरीदे हो तो उन्हें निकालकर सीधे गमलों या क्यारियों के गङ्ढों में लगा सकते हैं। यदि खरीदे गये पौधे के जड़ के चारों ओर थोड़ी मिट्टी की पिन्डी हो तो पूरे पौधे को एक बाल्टी पानी में लगभग एक घंटे रखने के बाद ही लगाएं जिससे पिन्डी नर्म तथा पौधा तर हो जाए। दोपहर सूर्य ढलना आरम्भ हो जाने पर ही पौधों की दूसरी जगह लगाना अच्छा होता है, धूप की गर्मी से नये पौधों को हानि भी हो सकती है। 
एक राज की बात: अधिकांश पेड़, पौधों, लताओं के डाल-टहनियों से प्रसारण हो सकता है। वर्षा के मौसम में जिन पौधों, झाड़ों आदि के डाल आप को मिल जाए उनके टुकड़े जमीन में गाड़ देने पर 2-3 महीने में उनमें जड़ हो जायेगा। ऐसे पौधे खरीदने में धन व्यय नहीं होगा। 
कहीं भी पौधे लगा देना ही काफी नहीं है। उनमें धूप लगने तथा पानी खाद देने की व्यवस्था के अतिरिक्त समय-समय पर गुड़ाई-निकाई (कोडनी), काट-छांट (प्रूनिंग) आदि पर ध्यान देना भी आवश्यक है। 
सुरेन्द्र प्रसाद
आजीवन सदस्य होर्टिकलचरल
सोसायटी, जमशेदपुर

Comments

  1. bahut achchi salah hai bagwani ke vishay me.

    http://www.hindisuccess.com/

    ReplyDelete
  2. bahut achchi salah hai bagwani ke vishay me.

    http://www.hindisuccess.com/

    ReplyDelete
  3. upayogi janakari hai bagawani me ruchi rakhanewalon ke liye

    ReplyDelete

Post a Comment